Sunday, December 8, 2013

आपका विचार क्या है ?


बाबा
आपका विचार क्या है ?

नमस्कार,

आपको पता ही होगा कि श्री श्री आनन्दमूर्ति जी, बाबा के प्रवचन आनन्दमार्ग की पुस्तकों में शुद्ध रूप से नहीं छापे जा रहे हैं |

प्रथम बिन्दु

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि H और EC group को बाबा के प्रवचनों में कोई अभिरुचि नहीं है | अगर ये दोनों group बाबा के प्रवचन के प्रति गम्भीर होते, तो तिलजला group के द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का केवल पुनर्मुद्राङ्कन करने के बजाय, बाबा के प्रवचन के recording के कैसेट से मूल प्रवचनों का पुनर्लेखन करके पुस्तक प्रकाशित करते | तिलजला group के द्वारा प्रकाशित बाबा के प्रवचनों में, जो त्रुटियाँ व हेराफेरी हैं, वह स्पष्टतया उनके द्वारा [जानबूझकर] की गई बेहद संगीन गलती है | लेकिन यहाँ H और EC group को निर्दोष मानने की भूल क़तई नहीं करनी चाहिए | बाबा के प्रवचनों का मौलिक रूप प्रकाशित करने में उनकी असफलता भी अवश्य ही एक गम्भीर गलती है जो यह दर्शाता है कि बाबा के शास्त्र में ‌इन दोनों groups की भी कोई दिलचस्पी नहीं है, वे मार्ग के शास्त्र के प्रति गम्भीर नहीं हैं | निश्चित ही उनका यह मनोभाव निन्दनीय है और उतना ही गम्भीर और संगीन गलती है जितना कि तिलजला group के द्वारा [जानबूझकर] की गई हेराफेरी और गलतियाँ |

द्वितीय बिन्दु

बाबा के मौलिक प्रवचनों का प्रकाशन : अभी या कभी नहीं

अगर हम केवल तमाशबीन बने रहे और बाबा के प्रवचनों में त्रुटि, बदलाव, हेराफेरी जैसे गलत, अपराधपूर्ण प्रवृत्ति को समाप्त नहीं किए; अगर हम बाबा के प्रवचनों के प्रति निष्क्रिय, निश्चेष्ट, अकर्मण्य बने रहे और सभी प्रवचनों का एक मानक स्तर का प्रकाशन अभी नहीं किए-तो भविष्य में ऐसा करना लगभग असम्भव हो जाएगा | भविष्य में अगर कोई आनन्दमार्गी प्रवचन से त्रुटियों को हटाने का प्रयास करेगा,तो उसे दुश्मन ही समझ लिया जाएगा | क्योंकि समय बीतने के साथ-साथ त्रुटिपूर्ण, हेराफेरीवाला प्रवचन ही मौलिक प्रवचन के रूप में स्थापित हो जाएगा और लोगों के लिए फिर यह विश्वास करना बेहद मुश्किल हो जाएगा कि इन प्रवचनों में हेराफेरी है |

याद रखिए, विभिन्न सम्प्रदायों में ऐसा ही हुआ है | आज अगर यह कहा जाए कि- "श्रीकृष्ण का गायों से कोई लेना-देना नहीं था"- तो कोई विश्वास नहीं करेगा | ठीक इसी तरह से समय बीतने के साथ आनन्दमार्गी लोगों के मन में भी हेराफेरीवाला त्रुटिपूर्ण प्रवचन ही सत्य रूप में स्थापित हो जाएगा और वे कभी भी उसे छोड़ना या उसमें कोई बदलाव या सुधार करना नहीं चाहेंगे | वे यह सोचकर कि- "बीसवीं शताब्दी में जो प्रवचन प्रकाशित हुए, वे ही सदा के लिए मौलिक व मानक हैं"- उसे (हेराफेरीवाले त्रुटिपूर्ण प्रवचनों को) ही बनाए रखना चाहेंगे |

आनन्दमार्ग धर्म है, सम्प्रदाय नहीं | लेकिन बावजूद इसके अगर एक बार हेराफेरीवाला त्रुटिपूर्ण प्रवचन स्थापित हो गया तो किसी भी प्रकार के सुधार वास्ते हमें भी अपने आनन्दमार्ग समुदाय के भीतर से ही भविष्य में विरोध झेलना पड़ेगा, जो कि एक दुर्भाग्यपूर्ण व विकट स्थिति होगा |

अतएव हमारे पास निश्चित ही समय शेष नहीं है | हमें-अभी या कभी नहीं-के दृढ़ रुख के साथ ही आगे बढ़ना होगा | समय बीत रहा है, हर क्षण महाकाल में अपना अस्तित्व खोता चला जा रहा है | हम एक पल भी अब गँवा नहीं सकते | अगर हम बाबा के प्रवचनों को उनके मौलिक रूप में अभी नहीं प्रकाशित कर पाएँ, तो याद रखिए-भविष्य में यह असम्भव हो जाएगा | और बाबा प्रवचन के अनेक किस्म, अनेक प्रकार रहने के कारण शास्त्र की अलग-अलग व्याख्याएँ होंगी और उसके आधार पर अलग-अलग गुट में हम लोग विभाजित हो जाएँगे, संस्था में विभाजन पर विभाजन होता चला जाएगा और साथ ही साथ आपसी सङ्घर्ष भी बढ़ता चला जाएगा | अर्थात्‌ त्रुटिपूर्ण प्रवचन भविष्य में विभाजन, आपसी सङ्घर्ष व रक्तपात का कारण बन जाएगा |

इतिहास गवाह है कि सभी सम्प्रदायों में शास्त्र में परिवर्त्तन, हेराफेरी, बदलाव व अलग-अलग व्याख्या के कारण उनमें अनेक विभाजन हुए, उनके अन्दर अनेक गुट बने और आपसी सङ्घर्ष व रक्तपात हुआ और आज भी हो रहा है |

बाबा इन समस्याओं को आनन्दमार्ग में नहीं आने देना चाहते हैं और इसीलिए उन्होंने प्रवचनों का कैसेट रिकार्ड करवा दिए, ताकि प्रवचनों के प्रकाशन में कोई त्रुटि नहीं हो | लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन recording का सही प्रकाशन नहीं किया गया है | यह मुद्दा बेहद गम्भीर है |

तृतीय बिन्दु

स्वयंसेवकों से अनुरोध

हम सभी आनन्दमार्गी भाई-बहनों से अनुरोध करते हैं कि बाबा के मौलिक प्रवचनों को प्रस्तुत करने में मदद करें | इन मौलिक प्रवचनों को अनेक भाषाओं में अनुवाद हेतु दुनिया के हर देश से मार्गी स्वयंसेवकों की ज़रूरत है | बाबा प्रवचन में हेराफेरी व बदलाव से सम्बन्धित लेखों का भी अनेक भाषाओं में अनुवाद आवश्यक है ताकि दुनिया के हर आनन्दमार्गी इस गम्भीर विषय में सतर्क व जागरुक हो जाएँ |

इन मौलिक प्रवचनों के साथ संस्था के किसी भी group के द्वारा प्रकाशित हेराफेरीवाला त्रुटिपूर्ण प्रवचनों का तुलना करके उन त्रुटियों को उजागर करना भी एक बहुत बड़ा व महत्त्वपूर्ण कार्य है | तारकब्रह्म बाबा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी के प्रवचनों के मौलिक रूप को सुरक्षित करने के इस पवित्र अभियान में मदद करने हेतु जो आनन्दमार्गी भाई-बहन इच्छुक व प्रेरित हों उनका तहेदिल से स्वागत है |

चतुर्थ बिन्दु

बाबा प्रवचनों के आडियो रिकार्डिंग की ज़रूरत

बाबा के प्रवचनों के मूल रूप के प्रकाशन हेतु प्रवचनों के आडियो कैसेट की ज़रूरत है | और हम विश्वास दिलाना चाहते हैं कि इन रिकार्डिग का अधिकतम सावधानी के साथ ध्यान रखा जाता है | आख़िर इन रिकार्डिग से हम वही काम करते हैं जिनके लिए कैसेट रिकार्डिंग किया गया था-प्रवचनों को सुनकर उनका लिपि-करण करना | इसलिए अगर किसी भाई-बहन के पास बाबा प्रवचन या बाबा के आवाज़ का कोई भी रिकार्डिंग हो तो वे हमसे e-mail लिखकर ज़रूर सम्पर्क करें | ताकि बाबा के उस आवाज़ या प्रवचन को हू--हू, ज्यों का त्यों लिखकर उसे प्रस्तुत किया जा सके, उनका प्रकाशन किया जा सके |

पञ्चम बिन्दु

Ánanda Márga Discourses Network का एकमात्र लक्ष्य -
बाबा के प्रवचनों को सुरक्षित करना

Ánanda Má́rga Discourses Network का किसी भी group के विरुद्ध कोई उद्देश्य नहीं है | इसका केवल और केवल, एकमात्र लक्ष्य है-बाबा के पवित्र प्रवचनों का हेराफेरीवाला त्रुटिपूर्ण रूप को सुधार करके उसके मौलिक रूप को प्रस्तुत करना ताकि विश्व मानवता का यह धरोहर वर्त्तमान और भविष्य के मानवता के लिए सुरक्षित रहे |

इस विषय, बाबा प्रवचन के प्रकाशन के सम्बन्ध में आपका क्या विचार है जानने की प्रतीक्षा में आतुर |

परमपुरुष बाबा की सेवा में
चिरनूतन
संयोजक
Ananda Marga Discourses Network

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The following sections you might have read. The above Hindi is the translation of these following sections.


Moderators Note 1.

It is regrettable that H and EC groups have no interest in Bábá’s discourses, otherwise they would have become active in publishing them from the original sound track instead of merely reprinting the books which the Tiljala group publishes. The distortions introduced by Tiljala group in their publications of Bábá’s discourses are errors of commissional nature. But let none make the mistake of thinking that H and EC groups are innocent here; by their failure to take interest in publishing Bábá’s original discourses, they demonstrate a lethargy toward Bábá’s shástra which is highly condemnable. H and EC groups’ failure to publish Bábá’s original discourses is a failure of omission. The omissional error of H and EC is every bit as serious as the commissional errors of Tiljala group.

Moderators Note 2.

Fix Bábá's Discourses Now or Never

If we remain passive onlookers and do not fix the negative trends of introducing distortion into Shrii Shrii Ánandamúrtiji's discourses—if we do not bring the printed discourses up to the proper standard now—it will become impossible to change this in the future. And even if in future some sincere Ánanda Márgiis will try, they will be treated as enemies. Because this is the way religion works: Today one cannot teach the devotees of Lord Krśńa that He has nothing to do with cows; they will never believe it. In the same way, Ánanda Márgiis will become used to the wrong teachings in our AM books and they will not like to give them up. They will think that whatever was there at the end of the twentieth century, that was the gold standard for all time. And it should be kept and maintained.

Ánanda Má́rga is dharma—not religion—but we will face the same opposition from within to change, when wrong teachings get established.

So we don't have any time: it is either now or never. The clock is ticking: If we do not get Bábá's discourses fixed now, it will be impossible to do so later. And that will cause bloodshed and more division on the basis of the various versions of Bábá's teachings and their explanations. History bears testimony to this, that all the religions have similarly broken into multiple factions, groups and subgroups on the basis of differences in scripture interpretations. Bábá wanted to eliminate such problems, and that is why Bábá's discourses are recorded. But unfortunately, those recordings are not being published properly. This matter is very serious.

Moderators Note 3.

Request for Volunteers

We make a special request for volunteers to help in this work of producing and reviewing the “as is” discourses. Márgii volunteers are needed from all countries around the world, to help with translating the “as is” discourses into the various languages, and also to help with translating postings about distortions so that all Márgiis around the world can be made aware. Comparing the “as is” discourses to the discourses published by our AMPS is a big job, and help here is also needed. We welcome a hand from any and all who are inspired and interested to serve in the protection of the discourses of Lord Shrii Shrii Ánandamúrtiji.

Moderators Note 4.

Need for Audio Recordings

In order to produce “As Is” discourses, there is a need for audio cassettes of Bábá's discourses. These are treated with the utmost of care as we do the job for which the recordings were made: discourse transcription. So any who have recordings of Bábá's discourses are encouraged to contact us in order to get the recording transcribed in “As Is” fashion.

Moderators Note 5.

Only Goal of Ánanda Márga Discourses Network:
To Protect Bábá's Discourses

This Ánanda Má́rga Discourses Network does not have any agenda against any group. Its only goal is to repair and protect Lord Shrii Shrii Ánandamúrtiji's holy discourses so they will remain for the present and future humanity.

In His service,

Ciranútana
Ánanda Márga Discourse network Editors