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Subject: बाबा प्रवचन का बंगालीकरण - AV-1 Ch. 8 (H) 4th Letter - हिन्दी पाठकों के लिए
Date: Sat, 2 May 2015 11:53:36 +0530
Bábá
बाबा प्रवचन का बंगालीकरण - AV-1
Ch. 8 (H) 4th Letter
हिन्दी पाठकों के लिए For Hindi Readers Only -
Check for Yourself
हिन्दी पाठकों के लिए For Hindi Readers Only -
Check for Yourself
Dear Márgii Brothers and Sisters
Namaskár.
This is the 4th Posting on AV-1 Ch. 8. “मायामेतां तरन्ति ते“ |
अब आँख खोलिए, सच्चाई को देखिए
नीचे का द्वितीय स्कैन आनन्दवचनामृतम् प्रथम खण्ड का Publishers Page प्रकाशन पृष्ठ है | इसमें द्वितीय line में लिखा हुआ है---“आचार्य समन्वयानन्द अवधूत द्वारा मूल बंगला से अनूदित.” देखिए समन्वयानन्द जी को ख़रीदकर, सर्वात्मानन्द जी ने समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी से कितना गन्दा काम करवाया | समन्वयानन्द जी, रुद्रानन्द जी, और सर्वात्मानन्द जी ने मिथ्या प्रचार किया कि यह प्रवचन मूल बंगला है | जब कि इस प्रवचन में बाबा बंगला में एक शब्द भी नहीं बोले | बाबा बोले English, हिन्दी में | और नीचे देखिए छाप दिया गया है, “मूल बंगला” | सन्न्यासी वेश में झूठ बोलना और भी पाप है | सोचिए ये लोग कैसे सन्न्यासी हैं | इस तरह से सरासर मिथ्या प्रचार करके मार्गियों को गत पचीस साल से बेवकूफ़ बना रहे हैं | अब आँख खोलिए, सच्चाई को देखिए |
In the discourse “मायामेतां तरन्ति ते“, आनन्दवचनामृतम् प्रथम खण्ड हिन्दी, अध्याय आठ“ “The Nectar Beyond Máyá” (AV-1 Ch. 8), we have seen that Bábá delivered the discourse in English and Hindi, and did not speak even one word in Bangla, but TP declared it as a Bangla discourse, and TP unnecessarily translated the original Hindi हिन्दी into Bengali and then took that Bengali translation and translated it back into Hindi हिन्दी meaninglessly.
Then Sarvatmanandji’s stooge सर्वात्मानन्द जी के चमचे समन्वयानन्द जी Samanvayanandji, did this sin of ruining the Hindi discourse (see below, in Hindi AV-1 Chapter 8 p.16 scan). In this way, they published the Ananda Vacanamrtam Hindi Edition 1993.
The standard approach given by Bábá is to directly print the original Hindi हिन्दी from His audio. But this they did not do. For your verification the sound file is on the blog. (see note 1 below for download link)
बंगालीकरण : रुद्रानन्द
जी और समन्वयानन्द जी ने ऐसा पाप क्यों किया ?
सर्व विदित है उन दिनों, 1993, तिलजला में, समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी दोनों, पुरोधा-पद पाने के लिए सर्वात्मानन्द जी के तलवे में प्रतिदिन “गोबर” लगाकर जीभ से चाटते थे | उन दिनों सर्वात्मानन्द जी ने जो आदेश दिया, ये दोनों चमचे (समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी) उस सब की पूर्ति किए | सर्वात्मानन्द जी इन दोनों चमचों से बाबा का प्रवचन नष्ट करने को कहा | ये दोनों (समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी) गुलाम अपने मालिक सर्वात्मानन्द जी की आज्ञा-पूर्ति के लिए बाबा का प्रवचन नष्ट किए | प्रमाण के लिए नीचे के दोनों स्कैन साक्षी है |
Bábá's Original Words Lost
Due to Unnecessary Double Translation
Due to Unnecessary Double Translation
In translating Bábá's discourse from Hindi हिन्दी to Bengali, and then from Bengali back into Hindi हिन्दी, many aspects of the discourse were altered; and, most of Bábá's original words were lost. It is disgraceful that most words were altered or lost as a direct result of Tiljala group's having unnecessarily translated the discourse from Hindi हिन्दी into Bengali and then back into Hindi हिन्दी.
You have Bábá's audio (1) and you can verify yourself so those who are busy in ruining Baba’s teachings cannot confuse you.
SEE FOR YOURSELF: Whatever Bábá Spoke In
Hindi हिन्दी, Nothing TP Printed
Due to Bengalization, Most Words Altered
Due to Bengalization, Most Words Altered
You have the audio recording and you can listen and compare for yourself with the below scan. (If you haven't downloaded the sound file yet, you can do so from the link in note 1.)
Compare each sentence which Bábá says in the audio, with Tiljala Group's printed version below of the same sentence. You will see that there is not a single sentence in the paragraph that is just as Bábá spoke it. Rather, every sentence is different: the vocabulary and phraseology are completely ruined. And the reason is very simple: when one translates any sentence from one language into another, and then again re-translates back into the original language, the words and phrases are bound to be ruined. Bábá’s original Hindi words are not included in the below printed discourse.
यह निम्न स्कैन आनन्दवचनामृतम् प्रथम खण्ड हिन्दी, अध्याय आठ, “मायामेतां तरन्ति ते“, संस्करण 1993 का है | बाबा की ध्वनि सुनने से आपको पता चलेगा कि बाबा ने जिन शब्दों को कहा, वे सभी शब्द बंगालीकरण के कारण बदल दिए गए हैं | अर्थात् किताब में नहीं हैं | कृपया तुलना करके देख लीजिए कि कितना ख़राब काम हुआ है |
पुनर्निवेदन---यह ऊपरवाला स्कैन आनन्दवचनामृतम् प्रथम खण्ड हिन्दी, अध्याय आठ, “मायामेतां तरन्ति ते“, संस्करण 1993 का है | बाबा की ध्वनि सुनने से आपको पता चलेगा कि बाबा ने जिन शब्दों को कहा, वे सभी शब्द बंगालीकरण के कारण बदल दिए गए हैं | अर्थात् किताब में नहीं हैं | कृपया तुलना करके देख लीजिए कि कितना ख़राब काम हुआ है |
बंगालीकरण : रुद्रानन्द जी और समन्वयानन्द जी ने ऐसा पाप क्यों किया ?
कृपया पुनः देखिए---सर्व विदित है उन दिनों, 1993, तिलजला में, समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी दोनों, पुरोधा-पद पाने के लिए सर्वात्मानन्द जी के तलवे में प्रतिदिन “गोबर” लगाकर जीभ से चाटते थे | उन दिनों सर्वात्मानन्द जी ने जो आदेश दिया, ये दोनों चमचे (समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी) उस सब की पूर्ति किए | सर्वात्मानन्द जी इन दोनों चमचों से बाबा का प्रवचन नष्ट करने को कहा | ये दोनों (समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी) गुलाम अपने मालिक सर्वात्मानन्द जी की आज्ञा-पूर्ति के लिए बाबा का प्रवचन नष्ट किए | प्रमाण के लिए नीचे का एक स्कैन और ऊपर का एक स्कैन साक्षी है |
अब आँख खोलिए, सच्चाई को देखिए
कृपया पुनः देखिए---नीचे का स्कैन आनन्दवचनामृतम् प्रथम खण्ड का Publishers Page प्रकाशन पृष्ठ है | इसमें द्वितीय line में लिखा हुआ है---“आचार्य समन्वयानन्द अवधूत द्वारा मूल बंगला से अनूदित.” देखिए समन्वयानन्द जी को ख़रीदकर, सर्वात्मानन्द जी ने समन्वयानन्द जी और रुद्रानन्द जी से कितना गन्दा काम करवाया | समन्वयानन्द जी, रुद्रानन्द जी, और सर्वात्मानन्द जी ने मिथ्या प्रचार किया कि यह प्रवचन मूल बंगला है | जब कि इस प्रवचन में बाबा बंगला में एक शब्द भी नहीं बोले | बाबा बोले English, हिन्दी में | और नीचे देखिए छाप दिया गया है, “मूल बंगला” | सन्न्यासी वेश में झूठ बोलना और भी पाप है | सोचिए ये लोग कैसे सन्न्यासी हैं | इस तरह से सरासर मिथ्या प्रचार करके मार्गियों को गत पचीस साल से बेवकूफ़ बना रहे हैं | अब आँख खोलिए, सच्चाई को देखिए |
देखिए TP पुस्तक प्रकाशक ने कैसा मिथ्या प्रचार किया -- नीचे स्कैन में द्वितीय line में झूठ लिखा हुआ है---“आचार्य समन्वयानन्द अवधूत द्वारा मूल बंगला से अनूदित.”
पुनः---ऊपर का स्कैन आनन्दवचनामृतम् प्रथम खण्ड का Publishers Page प्रकाशन पृष्ठ है | इसमें द्वितीय line में लिखा हुआ है---“आचार्य समन्वयानन्द अवधूत द्वारा मूल बंगला से अनूदित.” Publisher का यह कथन सरासर मिथ्या है |
Open Your Eyes –
Thieves Stealing Your Guru's Teachings
Thieves Stealing Your Guru's Teachings
General Márgiis are simple and honest, so they assume others are as well, and they trust what Tiljala group dadas say. For this reason it is needed to gently prod and ask, “How long will you continue in the dark? Open your eyes—thieves are stealing before your very eyes.” Guru's entire shástra is being ruined by these so-called honest monks of AM —open your eyes and see the truth.
Speak Out
Be sure to download Baba’s audio file (see note 1) and save it for your sons and daughters, grandsons and granddaughters. Otherwise they will only receive the message from Tiljala group that the discourse was translated from the original Bengali, and gradually the dogma will be spread that Bábá knew only Bengali.
How long will you remain quiet – speak out. Guru Shrii Shrii Anandamurtiji has given His guideline for you, but it will not reach you. Yet you have full right to have it. Again, I will say: How long will you remain quiet – speak out.
Namaskar,
In Him,
Dharma Sagar
* If you have any problem downloading the sound file then please write back. We will help you get it downloaded.
Footnotes.
1. Click here to listen to/download Bábá's original discourse, and compare it with the above scans of Tiljala group's published Hindi discourse.
2. Now please click here to see our actual, “As-Is” transcription of “The Nectar Beyond Máyá” (AV-1 Ch. 8). This “As-Is” transcription contains every single word which Bábá spoke, in the original language in which He spoke it.