Saturday, December 19, 2020

आनन्दमार्ग पुस्तकों में हेरा-फेरी, मिलावट और बरबादी की सच्ची घटना

 बाबा


आनन्दमार्ग पुस्तकों में हेरा-फेरी, मिलावट और बरबादी की सच्ची घटना  


नमस्कार,


सद्गुरु बाबा जैसा हिन्दी में प्रवचन दिए हैं, और कैसेट में रिकॉर्डिंग हुआ है, वैसा आनन्दमार्ग की क़रीब सभी हिन्दी पुस्तकों में, ज्यों का त्यों कभी नहीं छापा गया । जिसके कारण अभी तक, हिन्दी भाषा-भाषी साधक लोग, परमपुरुष बाबा के विशुद्ध प्रवचनों से वञ्चित रहे ।


सद्गुरु बाबा ने सदा अपने शिष्यों को बुलाकर उन्हें धार्मिक प्रवचन सीधे सुनाया । भविष्य के शिष्य लोग उनके दिए धार्मिक ज्ञान से वञ्चित न हों, इसके लिए परमपुरुष बाबा ने अपने सभी प्रवचनों का रिकॉर्डिंग भी शुरू से करवाया; जिससे बिना मिलावट के आनन्दमार्ग का ब्रह्म-विज्ञान प्रत्येक व्यष्टि को शुद्ध रूप से मिल सके ।


प्रवचन सदा के लिए लुप्त हो गए


अगस्त उन्नीस सौ अठहत्तर में भी बाबा ने यह कार्यक्रम पूर्ववत्‌ जारी रखा । कुछ दिनों के बाद एक दिन (१४ अक्टूबर १९७८) सद्गुरु बाबा ने प्रवचनों के रिकॉर्डिंग का ब्योरा माँगा । तब पता चला कि प्रवचन के रिकॉर्डिंग और उसकी सुरक्षा-व्यवस्था में लापरवाही चल रही है, जिसके कारण सद्गुरु बाबा के कुछ प्रवचन, रिकॉर्डिंग के अभाव में सदा के लिए लुप्त हो गए हैं । इस पर सद्गुरु बाबा ने बनावटी गुस्सा दिखाया, और असन्तुष्ट होकर उन्होंने एक-दो दिन प्रवचन देना बन्द कर दिया । उसी दिन मार्गियों के बीच में, सबके सामने सद्गुरु बाबा ने यह कहा था कि—“मैं सिर्फ़ सामने उपस्थित कुछ गिने-चुने लोगों के लिए ही नहीं बोलता हूँ; मैं तो वर्तमान तथा भविष्य के सभी, सारी दुनिया के लिए बोलता हूँ ।”


बाबा के हिन्दी प्रवचनों के साथ सौतेला व्यवहार


स्पष्ट है सद्गुरु श्री श्री आनन्दमूर्ति जी ने अपने हज़ारों हज़ार प्रवचनों का रिकॉर्डिंग और उसकी सुरक्षा-व्यवस्था इसलिए करवाया कि भविष्य में एक दिन उनके प्रवचन विशुद्ध रूप से छपकर सभी लोगों को मिल जाए । अर्थात्‌ आप्तवाक्य शुद्ध रूप से जन-जन के कल्याण के लिए बाँटा जा सके ।


लेकिन क्षुद्र दलगत भावप्रवणता की मानसिक व्याधि से ग्रसित दादा सर्वात्मानन्द सहित कुछ लोग, अपनी विशेष क्षेत्रीय भाषा को सर्वोच्च मानकर, अन्य भाषाओं में दिए गए बाबा के प्रवचनों के साथ सौतेला व्यवहार किया ।


बाबा की अंग्रेज़ी और हिन्दी पुस्तकों में मिलावट


उसका प्रमाण है कि, अगर आप बाबा के बंगाली प्रवचनों के ऑडियो कैसेट को सुनते हुए मार्ग की बंगाली पुस्तकों के साथ उसे मिलाएँ तो आपको पता चल जाएगा और प्रसन्नता भी होगी कि बाबा ऑडियो कैसेट से बनी, अधिकांश बंगाली पुस्तकें, बाबा के ऑडियो कैसेट से मेल खातीं हैं ।


परन्तु अगर आप सद्गुरु बाबा के अंग्रेज़ी प्रवचनों के ऑडियो कैसेट को सुनते हुए मार्ग की अंग्रेज़ी पुस्तकों के साथ उसे मिलाएँ तो दुःख के साथ आपको पता चल जाएगा कि बाबा ऑडियो कैसेट से बनी, ज़्यादातर अंग्रेज़ी पुस्तकें, बाबा के अंग्रेज़ी ऑडियो कैसेट के वाक्यों से मेल नहीं खातीं ।


उसके बाद, अगर आप बाबा के हिन्दी प्रवचनों के ऑडियो कैसेट को सुनते हुए मार्ग की हिन्दी पुस्तकों के साथ उसे मिलाएँ तो आपको दुःख के साथ पता चल जाएगा कि बाबा ऑडियो कैसेट से बनी, मार्ग की क़रीब सभी हिन्दी पुस्तकें परमपुरुष बाबा के हिन्दी ऑडियो कैसेट के वाक्यों से एकदम मेल नहीं खातीं ।


हिन्दी अंग्रेज़ी भाषा भाषियों के साथ धोखा


सारांश यह है कि सद्गुरु बाबा जैसा हिन्दी में प्रवचन दिए हैं, और कैसेट में रिकॉर्डिंग हुआ है, वैसा आनन्दमार्ग की क़रीब सभी हिन्दी पुस्तकों में, ज्यों का त्यों कभी नहीं छापा गया । जिसके कारण अभी तक, हिन्दी भाषा-भाषी साधक लोग, परमपुरुष बाबा के विशुद्ध प्रवचनों से वञ्चित रहे ।


अब समय नहीं है, अगर मार्गी और डबल्यूटी लोग भाई बहन लोग परमपुरुष बाबा के रिकॉर्डिंग ऑडियो कैसेट को सुनकर उसे ज्यों का त्यों उतारकर बाबा के प्रवचनों की शुद्ध पुस्तक नहीं बनाए, तो बाबा की शिक्षा सदा के लिए लुप्त हो जाएगी । क्योंकि अभी तक आनन्दमार्ग की जो हिन्दी की पुस्तकें उपलब्ध हैं, उनमें अधिकांश कूड़ा भरा हुआ है ।


बाबा प्रवचनों को बचाना सभी मार्गी और WT का कर्तव्य


उसका प्रमाण है कि आप यूट्यूब या कहीं से भी बाबा के प्रवचन का ऑडियो फाइल सुनें, और उसको आनन्दमार्ग की किताब से मिलावें, तो आपको उपरोक्त बातों की सत्यता का पता चल जाएगा और इससे आपको दुःख भी होगा कि जो भी आपके पास हिन्दी पुस्तकें हैं, वे अशुद्ध हैं । उनमें बाबा की चीज़ों तो कम, और कूड़ा ज़्यादा है । इस दुःखद परिस्थिति से बाबा के प्रवचनों को बचाना सभी मार्गी और WT का कर्तव्य है । अगर हम सभी लोग, विश्व के मार्गी और WT भाई बहन मिलकर कुछ नहीं किए, और बाबा के प्रवचनों को सुनकर नई किताब नहीं बनाए, और इस अन्याय को आँख बन्द करके सह लिए, तो परमपुरुष के दरबार में कभी क्षमा नहीं होगी ।


नमस्कार,

मधुसूदन गुहा