Thursday, December 24, 2020

मार्ग की एकता भंग करनेवाले कौन—चार कहानियाँ

 नमस्कार, 


मार्ग की एकता भंग करनेवाले कौन—चार कहानियाँ


इस पत्र के अन्तिम अनुच्छेद में, बाबा की अंग्रेज़ी शिक्षा एकता के बारे में है; उस अंग्रेज़ी अनुच्छेद में बाबा ने कहा है कि अगर शोषण हुआ तो एकता नष्ट हो जाएगी । अर्थात्‌ संस्था में एक समूह अगर दूसरे समूह पर शोषण कर रहा है, तो एकता नष्ट हो जाएगी । शोषक और शोषित के बीच में कभी एकता नहीं होती है । इस बिन्दु को समझने के लिए निम्न उदाहरण देखें । 


उदाहरण एक, बच्चा और मच्छर की कहानी— घर में एक बच्चा सोया हुआ है । घर में मच्छर भी हैं । मच्छर भी है, बच्चे भी हैं, शान्ति है । लेकिन मच्छर जब बच्चे को काटने लग गया, बच्चे का खून चूसने लग गया, तब बच्चा ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया । फलस्वरूप बच्चे और मच्छर के बीच में एकता भंग हो गई । इस एकता नष्ट होने के लिए, बच्चा ज़िम्मेदार नहीं है । एकता भंग होने के पीछे मच्छर ज़िम्मेदार है । अगर मच्छर बच्चे को नहीं काटता, तो एकता बनी रहती । जो घर की एकता बनाए रखना चाहते हैं, उन्हें मच्छर को समझाना होगा कि बच्चे का खून नहीं चूसे, पेड़-पौधे का रस चूसे । एकता का प्रवचन मच्छर को सुनाना चाहिए, न कि बच्चे को । इस एकता की बात अगले उदाहरण से और स्पष्ट हो जाएगी । 


उदाहरण # दो, दोस्त का खाना चोरी, और पिटाई की कहानी— A और B दो बालक, आपस में मित्र हैं । दोनों एक ही क्लास में middle school में पढ़ते हैं । आपस में पड़ोसी हैं । साथ ही स्कूल जाते हैं । एक दिन B ने A का खाना चुपके से निकालकर फेंक दिया । फलस्वरूप A को दोपहर की छुट्टी में भूखे रहना पड़ा । दूसरा दिन भी वैसा ही हुआ, चुपके से B ने A का खाना फेंक दिया । इस प्रकार चार दिन लगातार हुआ, तब A ने सोचा कि इस तरह से तो भूखों मर जाएँगे; चोर को पकड़ना ही है । A ने अन्य मित्रों को अलर्ट किया, कि चोर को पकड़ा जाए । अगले दिन जब B ने A का खाना चुराया और फेंकने जा रहा था, तब पकड़ा गया । इस पर सब ने मिलकर B की पिटाई की । फलस्वरूप क्लासरूम की एकता और शान्ति नष्ट हो गई । स्पष्ट है कि एकता नष्ट करने के लिए पूरी ज़िम्मेवारी B की है । अगर A लड़के का खाना B नहीं फेंकता, तो एकता बनी रहती । इसलिए इस लेख के अन्तिम अनुच्छेद में बाबा की अंग्रेज़ी शिक्षा में कहा गया है कि जहाँ शोषण है, वहाँ एकता नष्ट हो जाएगी । जो एकता चाहते हैं, उन्हें शोषण बन्द करना होगा । एकता का प्रवचन शोषित को नहीं सुनाना चाहिए । एकता का प्रवचन शोषक को सुनाना चाहिए । क्योंकि शोषक ही एकता को नष्ट करता है । यह बात आगे उदाहरण से और भी स्पष्ट हो जाएगी । 


उदाहरण # तीन, सेन्ट्रल पोस्ट सिर्फ़ बांग्लादेशी शरणार्थियों के लिए— १९९० के पहले संस्था एक थी । कुछ लोगों ने अन्य लोगों का शोषण शुरू किया । और उन्होंने कहा कि “हम ऊँचे नस्ल के हैं, AMPS का सेन्ट्रल पोस्ट मेरे नस्लवालों को ही मिलेगा । और वैसा ही उन लोगों ने किया । इस पर लड़ाई शुरू हुई और AMPS विभाजित हुआ । इस फूट का कारण शोषक हैं और न कि शोषित । एकता का प्रवचन शोषक को सुनाना चाहिए, जिससे शोषक शोषण बन्द कर दें, तो एकता हो जाएगी । इसलिए इस लेख के अन्तिम अनुच्छेद में बाबा की अंग्रेज़ी शिक्षा में कहा गया है कि जहाँ शोषण है, वहाँ एकता नष्ट हो जाएगी । यह बात अगले उदाहरण से और भी स्पष्ट हो जाएगी । 


उदाहरण # चार, प्रवचन फेंकनेवाले दोषी— बाबा के हिन्दी प्रवचनों को फेंक दिया जाता था पुराने आ०व० १-२ में । इस सम्बन्ध में प्रतिदिन उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है, चित्र बनाकर । जो लोग हिन्दी का प्रवचन फेंके वे लोग शोषक हैं, दोषी हैं । अगर हिन्दी का प्रवचन नहीं फेंका जाता, तो एकता बनी रहती । एकता लाना है, तो शोषण बन्द करना होगा । दुर्भाग्य है कि कुछ लोग अल्प ज्ञान या अज्ञान के कारण निम्न हिन्दी बाबा वाक्य शोषितों को सुनाकर अपनी बुद्धिहीनता का परिचय देते हैं । 


बाबा ने कहा है—“आनन्द मार्गियों की एकता किसी भी तरह नष्ट न होने दोगे । अपने जीवन को विपन्न करके भी एकता की रक्षा करोगे” ।  


दुर्भाग्य है कि कुछ लोग अल्प ज्ञान या अज्ञान के कारण उपरोक्त हिन्दी बाबा वाक्य शोषितों को सुनाकर अपनी बुद्धिहीनता का परिचय देते हैं । 


उपरोक्त एकतावाले बाबा के शब्दों को उन्हीं को सुनाना चाहिए जो हिन्दी बाबा प्रवचन आनन्द वचनामृतम्‌ से फेंक दिए हैं । शोषकों के कारण AMPS की एकता भंग हुई है । यही शिक्षा बाबा निम्न अंग्रेज़ी अनुच्छेद में भी दे रहे हैं । 


Bábá says, “In the realm of unity, unity is always psychic – ideological unity means unity in the subtlest level of the mind. However, psychic or ideological unity may be affected if we encourage the exploitation of one group by another. So to avoid this there should not be any scope for exploitation in society.” (Talks on Prout, Prout in a Nutshell Volume 3 Part 15, Electronic Edition)


नमस्कार

सुस्मिता भट्टाचार्य