Saturday, December 26, 2020

बिना होमवर्क किए कुतर्क—और जगहंसाई

नमस्कार,

 बिना होमवर्क किए कुतर्क—और जगहंसाई


कुछ लोग जिन्हें आनन्द मार्ग शास्त्र निर्माण के इतिहास की जानकारी नहीं है, ऐसे लोग अपनी अज्ञानता के कारण विशुद्ध हिन्दी पुस्तक (आ०व० १-२ विशुद्ध, २०२०) के हूबहू / as-is ट्रैन्स्क्रिपशन के अस्तित्व की वैधता पर लगभग गत आठ - दस महीने से बार-बार चुनौती देते हैं, प्रश्न उठाते हैं । और कभी कभी प्रमाण माँगते हुए तोते की तरह रट लगाते हैं कि “कहाँ है बाबा का इस सम्बन्ध में आदेश” आदि । ऐसे लोग अगर प्रश्न रटने के पूर्व अपना होमवर्क कर लिए होते, तो रट नहीं लगाते; उन्हें उत्तर मिल गया होता । 


याद रहे AMPS के पास जब १९६० में रिकार्डर आया तभी से आज तक बाँग्ला की सारी किताबें हूबहू / as-is विधि से बनाई जा रही हैं । कुछ अंग्रेज़ी की किताबें भी हूबहू / as-is ट्रैन्स्क्रिपशन के आधार पर तिलजलावालों ने बनाई है । 


अगर उन लोगों को हूबहू / as-is ट्रैन्स्क्रिपशन पर आपत्ति है, तो सबसे पहले उन लोगों को तिलजलावालों से पूछना चाहिए कि वे लोग गत पचास साल से क्यों हूबहू / as-is ट्रैन्स्क्रिपशन से बाँग्ला पुस्तक बना रहे हैं ।  


इसलिए निवेदन है की अधकचरे ज्ञान के आधार पर विशुद्ध पुस्तक (आ०व० १-२ विशुद्ध, २०२०) के अस्तित्व का विरोध करके हँसी का पात्र न बने | 


टिप्पणी Ltr #1, निम्न उदाहरण पत्र एक विद्वान अवधूत जी का है । ये अवधूत जी बार बार आपत्ति उठाते हैं । हूबहू / as-is ट्रैन्स्क्रिपशन से इनको बहुत ताज्जुब होता है । 


टिप्पणी Ltr #2, एक मार्गी जो अपने को नव्यमानवतावादी बताते हैं, इन्होंने भी बार-बार विभिन्न फ़ोरम में गत आठ - दस महीने से निम्न पत्र #2 की रट लगाई है । 


Ltr #1 --- [23/12, 10:37 AM] XYZ Dada: By the way this hue & cry &  for ""hoo-ba-hoo"" translation is something strange for me.


Ltr #2 --- [08/11, 2:02 am] ABC Margi: The fundamental question that needs an answer is about the validity of doing “AS IS” transcription of the recorded speeches (a few you also raised that question earlier). Is it even desirable to publish such material for general public consumption? …  where did Baba give directives to do “as-is” transcriptions? 


नोट :- तिलजलावालों को हिन्दी बाबा प्रवचनों से ही एलर्जी है । इसलिए वे लोग आनन्द वचनामृतम्‌ हिन्दी १-२ विशुद्ध (२०२०) को अपने दूतों द्वारा विरोध करवा रहे हैं । 


निवेदन :- शास्त्र घोटाला करनेवालों से अनुरोध है कि वे अपने दूतों को तैयार करके भेजें; नहीं तो जगहंसाई होती है । 


नमस्कार